हरिद्वार। श्री रामेश्वर आश्रम कनखल में श्रीमती कमलेश सहारनपुर वालों की स्मृति में आयोजित श्री मद् भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि कलयुग में भगवान के नाम का उच्चारण मात्र से मनुष्य के पाप कट जाते हैं। भगवान का नाम जाप संसार रूपी सागर से पार लगाने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि भगवान के दिव्य नाम का जाप जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान करता है। कीर्तन और नाम जप से मन सभी भौतिक अशुद्धियों से शुद्ध हो जाता है। इससे आनंद और शांति की प्राप्ति होती है।
कथा व्यास ने सती अनसुईया चरित्र में राजा दक्ष के यज्ञ का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि बिना बुलाए माता सती यज्ञ में गईं। इस कथा ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ध्रुव की कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास ने बताया कि राजा उत्तानपाद के पांच वर्षीय पुत्र ध्रुव एक दिन खेलते हुए महल में पहुंचे। उस समय राजा की गोद में उनका दूसरा पुत्र उत्तम बैठा था। जब ध्रुव भी राजा की गोद में बैठने का प्रयास करने लगे, तब उत्तम की मां सुरुचि ने उन्हें डांट दिया।
सुरुचि ने अपने अभिमान में कहा कि ध्रुव को राजा की गोद में बैठने का अधिकार नहीं है। उसने कहा कि अगर गोद में बैठना है तो पहले भगवान का भजन करो, फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर आओ। ध्रुव अपनी मां सुनीति के पास रोते हुए पहुंचे। सुनीति ने बेटे को समझाया कि सभी सुखों के दाता भगवान नारायण ही हैं। उन्होंने ध्रुव को भगवान की भक्ति करने की सलाह दी।
कथा व्यास रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलना जितना सरल दिखता है, उतना है नहीं। केवल वही इस मार्ग पर टिक पाता है, जिसमें सच्ची श्रद्धा और धैर्य होता है। उन्होंने भक्त प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें पहाड़ से गिराया गया, समुद्र में फेंका गया, विष दिया गया और कालकोठरी में बंद किया गया, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई। इसलिए भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त की रक्षा की। उन्होंने बताया कि प्रहलाद को गर्भ में ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त हो गया था। जैसे अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदन की विद्या मां के गर्भ में सीखी, वैसे ही प्रहलाद भी अपनी माता के माध्यम से संस्कारवान बने। कथा समापन पर हुए भजनों की धुन पर श्रद्धालु खूब झूमते रहे। कथा के दौरान भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। कथा की व्यवस्था डॉ. रजनीकांत शुक्ल ने की। इस अवसर पर राजकुमार चौहान, शिवम् चौहान, अमीर चौहान समेत सैंकड़ों भागवत प्रेमी मौजूद रहे। इससे पूर्व रूद्राभिषेक, पूजा यज्ञ आदि कार्य सम्पन्न हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *