हरिद्वार/एडमिन

जोशीमठ। देवी के उपासकों के लिए साधना की दृष्टि से नवरात्र महोत्सव का विशेष महत्व होता है। वर्ष में दो प्रकट तथा दो गुप्त नवरात्र का वर्णन मिलता है, जो क्रमश: चैत्र, आश्विन, आषाढ और माघ में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक मनायी जाने वाली शाकम्भरी नवरात्र को पाँचवी नवरात्रि के रूप में विशेष सम्मान प्राप्त है। देवी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए इस नवरात्र का आयोजन साधक लोग करते हैं। उक्त बातें स्वामिश्रीः 1008 अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द ने सोमवार को शाकम्भरी नवरात्र के प्रथम दिन व्यक्त किए। उन्होंने देवी माहात्म्य की कथा के प्रथम दिन देवी के शैलपुत्री रूप की कथा का श्रवण कराया। ज्योतिर्मठ में प्रथम बार आयोजित इस नवरात्र में भगवती की विशेष पूजा की गयी।

प्रमुख रूप से सर्वश्री ब्रह्मचारी विष्णुप्रियानन्द, शिवानन्द उनियाल, विद्यासागरन् अण्णा, अरुण, टिंकू धनखड़, रामकुमार तिवारी आदि जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ अमित तिवारी के वैदिक मंगलाचरण से हुआ। कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।