Tushar

हरिद्वार। अखाड़ों में महामंडलेश्वर का पद बहुत ही अहम और सम्माननीय माना जाता है, कुंभ मेले के दौरान सभी अखाड़े महामंडलेश्वर बनाते हैं बड़ी संख्या में महामंडलेश्वर बनने के बाद कई साधु संत फिर अखाड़ों का रुख भी नहीं करते हैं ,कई बार जल्दी बाजी में कई गलत तरह के व्यक्ति को भी सेटिंग वेटिंग से महामंडलेश्वर बना दिया जाता है, इस प्रक्रिया को पारदर्शी और योग्य बनाने के लिए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी द्वारा बड़ी पहल की गई है, अखाड़े के श्री महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा है कि अब महामंडलेश्वर बनने के लिए कम से कम 2 योग्यता अनिवार्य वे अपने अखाड़े में करने जा रहे हैं ,एक आचार्य की डिग्री और दूसरा मठ मंदिर की गद्दी, यह दोनों योग्यताएं पूरी करने वाले संत को ही अब अखाड़ों में महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। जिसके लिए उन्होंने एक कमेटी बनाने की भी बात की है,
रविंद्र पुरी महाराज ने कहा है कि उनके अखाड़े में सैकड़ों लोगों ने महामंडलेश्वर पद की दीक्षा ले रखी है लेकिन उनके संपर्क में केवल 60 ही महामंडलेश्वर हैं ऐसे ही अन्य अखाड़ों का भी हाल है जिसको देखते हुए अब अखाड़ों को यह फैसला लेना पड़ रहा है उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर की पदवी लेने के बाद आजीवन संत इस नाम से जाना जाता है और बड़े-बड़े बोर्ड अपनी गाड़ियों पर लगाकर देशभर में भ्रमण करते हैं कई बार पाया गया है कि महामंडलेश्वर बनने के बाद भी परंपरा के विपरीत कई लोग ग्रहस्त जीवन जी रहे होते हैं इन सभी बातों को देखते हुए इन विसंगतियों को रोकने के लिए अब अखाड़ा शैक्षिक योग्यता और मठ मंदिर की अनिवार्यता करने जा रहा है।