
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में विश्व गौरैया दिवस आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के पर्यावरण जागरूकता प्रकोष्ठ एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में पक्षी वैज्ञानिक डॉ0 विनय सेठी ने गौरैया की घटती संख्या एवं संरक्षण पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में डॉ० सेठी ने बताया कि भारतीय जीवनशैली से जुड़ी हुई गौरैया का जीवन सुरक्षित नहीं है, उसका जीवन खतरे में है। मानव जीवन की सुरक्षा पर भी इससे प्रश्नचिह्न उठने स्वाभाविक हैं।
डॉ सेठी ने जानकारी देते हुए बताया कि विकास के क्रम में भवन एवं इमारतों की संरचना में हो रहे परिवर्तन के चलते गौरैया को घोंसले बनाने के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, यद्यपि इस समस्या को लकड़ी के कृत्रिम घोसले उपलब्ध कराकर दूर किया जा सकता है। आज इस दिशा में समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो0 दिनेशचन्द्र शास्त्री ने कहा कि आज गौरैया संरक्षण को लेकर जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। मनुष्य ने विकास तो किया है परंतु इस अविवेकपूर्ण विकास के चलते प्रकृति का जैविक संतुलन गड़बड़ा गया है।
आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ0 कामाख्या कुमार ने गौरैया पक्षी की घटती संख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गौरेया संरक्षण अंतरराष्ट्रीय समस्या बन गई है। इसके संरक्षण के लिए तत्काल कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में प्रो0 दिनेश चमोला, डॉ0 शैलेश तिवारी, डॉ0 अरविंद नारायण मिश्र, डॉ0 सुमन भट्ट, डॉ0 मीनाक्षी, डॉ0 प्रतिभा शुक्ला, डॉ0 दामोदर परगाई, डॉ0 लक्ष्मी नारायण जोशी, डॉ0 सुशील उपाध्याय, डॉ0 अरुण मिश्रा, मनोज गहतोड़ी आदि उपस्थित रहे।