हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़े की ओर से जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन करते हुए बताया त्रिपुरासुर दैत्य को अपनी शक्ति का बहुत घमंड हो गया था। इस वजह से उसने धरती के साथ देवलोक में भी हाहाकार मचा दिया था। कोई भी देवता या अस्त्र त्रिपुरासुर को परास्त नहीं कर पा रहे थे। इस पर सभी देवता महादेव शिव से विनती करने कैलाश पर्वत पहुंचे। देवता जब कैलाश पहुंचे तो उस समय भगवान शिव योग मुद्रा में अपने नेत्रों को बंद कर गहन तप में लीन थे। जब भगवान शिव ने अपना नेत्र खोला तो उनकी आंखों से कुछ अश्रु छलक कर धरती पर गिर गए। जिससे रुद्राक्ष के वृक्ष का जन्म हुआ। जहां-जहां भगवान शिव के आंसू गिरे। वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए। इसलिए रुद्राक्ष को भगवान शिव के तीसरे नेत्र का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। इसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर का वध किया और उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया। स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि भगवान शिव को प्रिय रुद्राक्ष 14 प्रकार के हैं। इनमें से एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है। दो मुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर, तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का स्वरूप माना जाता है। चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्म, पांच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि और 06 मुखी रुद्राक्ष को कार्तिकेय का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। 07 मुखी रुद्राक्ष को कामदेव, 08 मुखी रुद्राक्ष को भगवान श्री गणेश और भगवान कालभैरव का स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि 09 मुखी रुद्राक्ष मां भगवती और शक्ति का स्वरुप है। 10 मुखी रुद्राक्ष दसों दिशाओं और यम के प्रतीक हैं। 11 मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान रुद्र का स्वरूप माना जाता है। 12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य, अग्नि और तेज, 13 मुखी रुद्राक्ष विजय और सफलता और14 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर का स्वरूप माना गया है। शिव कृपा पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि श्रावण माह में भगवान शिव हरिद्वार में वास करते हैं। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य, पंडित अधीर कौशिक, रूपेश कौशिक, विष्णु गौड़, आचार्य विष्णु शास्त्री, आचार्य संजय शर्मा, भागवताचार्य पवनकृष्ण शास्त्री, बृजमोहन शर्मा, सत्यम शर्मा, चमन गिरी, संजू अग्रवाल, रोहित शर्मा, विशाल शर्मा ने शिव महापुराण एवं व्यास पूजन किया।

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